इतनी पाबंदी के बावजूद भी रेत माफियों के हौंसले बुलंद*

🔥 *इतनी पाबंदी के बावजूद भी रेत माफियों के हौंसले बुलंद*🔥


*नर्मदा नदी के थरैरी घाट और घूरपुर इमलिया शक्कर नदी सहित , क्षेत्र की कई रेत खदानों में रात होते ही शुरू होता है रेत का खेल*


*गाडरवारा । राज्य शासन के द्वारा ग्राम पंचायत स्तर की रेत खदाने संचालित करने के आदेश दिए गए हैं , साथ ही साथ एनजीटी के आदेश भी हाटते विगत दो सप्ताह हो गए हैं । लेकिन नरसिंहपुर जिले में कोई भी ग्राम पंचायत स्तर की रेत खदानें संचालित नहीं की गई है ,जिसको लेकर पूरे नरसिंहपुर जिले में सहायक नदियों की रेत खदानों में दिन रात बेरोक टोक अवैध उत्खनन चल रहा है । वहीं गाडवारा क्षेत्र की सहायक नदियों की रेत खदानों में रात होते ही अवैध उत्खनन देखा जा रहा है । क्षेत्र के बैरागढ़ रेत खदान हो चाहे संसार खेड़ा हो चाहे वेदर खदान हो और तो और जिले की सीमा से लगे पनागर के    पुल पर से ही नदी में अवैध उत्खनन देखा जा सकता है । क्षेत्र की बैरागढ़ खदान और पनागर रेत खदान पर रात होते ही सैकड़ों की तादाद में ट्रैक्टर ट्राली नदी में देखे जा सकते हैं, जिसमे प्रशासन और जनप्रतिनिधियों पर बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं । चीचली कि सीतारेवा नदी का भी यही हाल है इस नदी में भी रेत माफियों ने कोई कसर नहीं छोड़ी हैं , शहर की घूरपुर इमलिया पतलोन सहित  शक्कर नदी पुल के पास ही रात होते ही ट्रैक्टर ट्रालियों का नदी के घाटों में जमावड़ा लग जाता है । क्षेत्र की नदियों में अवैध उत्खनन होने से प्रशासन और जनप्रतिनिधियों पर बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं ,क्योंकि इन्हीं जनप्रतिनिधियों ने चुनाव के वक्त क्षेत्र की जनता से रेत को लेकर बड़े बड़े वादे किए हैं । अब इन्हीं वादों पर क्षेत्र की जनता सवाल खड़े कर रही है ,क्योंकि जिस तरीके से क्षेत्र में अवैध उत्खनन देख रहा है ,मानो वक्त है बदलाव में छुटभैया नेता से लेकर प्रशासन के आला अधिकारियों का वक्त बदल रहा है* 



💥 *जिले के रेत खदाने का पोर्टल न खुलने से ट्रैक्टर चालकों में फैल रहा है सरकार के प्रति असंतोष*💥


*जिले भर में सरकारी निर्माण से लेकर प्रधानमंत्री आवास योजना और चोट पोर्ट निर्माण कार्य चल रहे हैं ,जिसमें रेत माफियों के द्वारा मोटी रकम पर रेत बेचने का कारोबार कर रहे हैं ,वहीं जिले भर के पोर्टल न खुलने से हजारों ट्रैक्टर चालक आज बेरोजगार है जिस से इस त्योहार में ट्रैक्टर चालक और मजदूर मिस्त्री में सरकार के प्रति असंतोष व्याप्त देखा जा रहा है । जिसका भरपूर फायदा वक्त है बदलाव के वो लोग ले रहे हैं ,जो कभी पन्द्रह साल की सत्ता में नहीं देखे गए*